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डॉ.केशरी शुक्ला

Drama

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डॉ.केशरी शुक्ला

Drama

सांस की मलिका और धड़कन की धुन

सांस की मलिका और धड़कन की धुन

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सांस की मलिका और धड़कन की धुन

मन के मंदिर में तुम हो भजन की तरह

शब्द आलोक की वेद मँत्रित ऋचा

श्री चरण को समर्पित सुमन की तरह


व्योम के भाल पर सूर्य होता उदित

तेरे माथे पे बिंदिया की इच्छा लिए

सीप ज्यों स्वाति की राह परसे अधर

है अधर चिर प्रणय की प्रतीक्षा लिए

मुनि मना कर कमल में लिए जल कलश

भोर में शांत चित आचमन की तरह

सांस की मलिका और धड़कन की.....


मुक्ति की युक्ति में योग की साधना

ध्यान दर्शन की युग चिर सृजित कल्पना

इस धरा की युगों की प्रतीक्षित कृति

उस परम ब्रम्ह की श्रेष्टतम सर्जना

मुक्त निर्दोष पंछी की अल्हड प्रकृति

नव जनित शिशु के अवमुक्त मन की तरह

सांस की मलिका और धड़कन की.....


शोभनम स्वागतम वंदनम अर्चनम

भाव में लक्षणा व्यंजना से भरी

मोगरे की तरह गंध की तुम प्रकृति

प्रीति की नव सृजित भावना से भरी

ग्रीष्म की तप्त जलती दुपहरी में तुम

मंद शीतल सुगंधित पवन की तरह

सांस की मलिका और धड़कन की.....


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