शहीद ए हिंदुस्तान
शहीद ए हिंदुस्तान
अश्क जाम हो गए ग़म तमाम हो गए
जो थे बादशाह कभी को वो गुलाम हो गए
माँ ने माँ से की गुहार करुण कंठ की पुकार
बहन लाल तेरा मुझको आज चाहिए उधार
अपनी ममता कर दफन लाल के सर दे कफ़न
माँ ने दान कर दिया लाल का तन और मन
माथे माँ की चरण धूल फूल बन गया था शूल
माँ से माँग लाल की माँ मुझे दें दें त्रिशूल
माँ की थी भीगी पलक हिल गया धरती फलक
मुस्कुरा के कर विदा दिखा हँसी की झलक
हो ना हो मिलन ये कल नयन हो गए सजल
प्रिय ने नेह से कहा की रुक ना वीर आगे चल
माँग का मेरे सिंदूर धन्य ही है ज़रूर
ये दुवा मेरी की आँख मे हो जीत का सुरूर
मेरा प्यार ले के साथ तिलक कर रही हूँ माथ
आज माँ की लाज वीर सौपती हूँ तेरे हाथ
वीर समर मे खड़ा सब पे था भरी पड़ा
सब फिरंगियों को मारने की जिद पे था अड़ा
बारूद मे घुला समीर लहू बन गया था नीर
दुश्मनों के होश छीन पड़ गया अकेला वीर
लाल लाल हो गया माँ की गोद सो गया
ले के वीरता की खुशबू इस फँजा मे खो गया...!
