सामूहिकता
सामूहिकता
छंटते हैं गम सुखों की होती है बरसात,
तम की निशा के बाद आता सुखद प्रभात।
समस्याएं सुलझती हैं और सुधरते हैं हालात,
सखा भाव रख समझें जो दूजों के जज्बात।
समस्या भरे इस जग में है कोई नहीं ऐसा रोग,
दवा न खोज सकें जिसकी-धीरज-संयम -सहयोग।
सबके सुख की चाहत रखने वाले-सदा सुख हैं पाते,
आनंद मिलता है उन्हें सदा -जो आनंद हैं सबको लुटाते।
बंटाने से घटते हैं गम -बनते हैं उसके छोटे-छोटे भाग,
मेल-जोल से द्वेष मिटते हैं-और पनपता है अनुराग।
सहयोग की पावन-अग्नि से-बनता है सदा ही ऐसा संयोग,
समस्याएं सारी हल होती हैं-खुशहाली पाते हैं सारे लोग।