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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Classics Inspirational

होली सबसे ही निराली है

होली सबसे ही निराली है

1 min
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चेतना का तन-मन में करते संचार,

सनातन संस्कृति के सारे त्योहार।

द्वेष नफरत जो मिटाती है,

हर दिल की दीवारों से।

होली सबसे ही निराली है,

सारे त्योहारों से।


भारत की पुण्य भू की,

है बात ही कुछ निराली।

नौ त्योहार सात दिन में,

बिन त्योहार न दिन कोई खाली।

नीरस न एक पल हो,

खुशियां लेकर आते हैं,

मिल जुलकर सितारों से।

होली सबसे ही निराली है,

सारे त्योहारों से।


कुछ स्वार्थ अहम् लालच,

आड़े जब-जब खुशी के आते।

कुछ-कुछ समय के अंतर से,

महापर्व हम सब मनाते।

मन भेद सब जलाकर,

लाते खुशी रंग और बहारों से।

होली सबसे ही निराली है,

सारे त्योहारों से।


मिल जुलकर के रहें सब हम,

यही संदेश देती होली।

बेशर्त बांटे खुशी सभी को,

तज अहम् और कड़वी बोली।

खिलखिलाहट खुशी की लौटेगी,

घर की सारी ही दीवारों से।

होली सबसे ही निराली है,

सारे त्योहारों से।


चेतना का तन-मन में करते संचार,

सनातन संस्कृति के सारे त्योहार।

द्वेष नफरत जो मिटाती है,

हर दिल की दीवारों से।

होली सबसे ही निराली है,

सारे त्योहारों से।


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