साल
साल
साल न जाता है, न आता है
गर कुछ है तो घड़ी की सुइयों का एक चक्रव्यूह
जो समय को
न कभी बांध सका न बांध सकेगा।
समय का बीत जाना ही
सृष्टि की अहम, अटल और अनोखी सच्चाई है।
ब्रह्मांड कहां तारीखों से बंधा है।
चांद, सितारे, नक्षत्र
अपनी लय में घूम रहे है,
चांद, सूर्य कभी छुपते नहीं
बस छोर बदलते हैं,
इंसानी तारीखों में इंसान को
उलझाए रखते हैं।
समय पल पल बीत जाता है, कभी रुकता नहीं,
गर कुछ अटल है, वह है
जीवन से मृत्यु तक का सफर,
फिर चोला बदल कर
उसी प्रतिक्रिया में जन्मों के चक्रव्यूह में उलझे रहना!
बस यही एक अटल सच्चाई है।
समय के पल न रुकते हैं, न थकते हैं!
बीते हुए लम्हों से कुछ सीखें,
आने वालों को ज़रा और सार्थक बनाए,
वहीं सफल जीवन का सही उद्देश्य है।
आने वाला समय सबके लिए मंगलमय हो, हमारी यही कामना है।
