अपने देश की आजादी
अपने देश की आजादी
देश को समर्पित एक रचना!🙏🏼
अपने देश की आजादी: पार्ट १
यह आज़ादी बस ऐसी ही न आई थी
जाने कितनों ने जान अपनी गंवाई थी
थे वे वतनपरस्त, एक दम दीवाने
पर उनकी आवाज़ की न सुनवाई थी
फिर करिश्माई दौर यूं चल पड़ा
जिसने नींद अंग्रेज़ों की उड़ाई थी
अब न उनके जनून का कोई सानी था
और करिश्माई उनकी अब अगुवाई थी
सांसे वतन को उनकी समर्पित थीं
उनकी ललकार से दुश्मन घबराई थी
"आज़ाद भारत" बस एक ही गूंज थी जो
बहते हुए हर खून की बूंद से आई थी
"अब दुश्मन देश छोड़ दे, या मरे"
हर सांस से यही आवाज आई थी
टिक पाती कब तक गोरों की फौज
अब उनके जाने की बारी आई थी
जाते जाते दुश्मन ने कुछ करना था
सांप्रदायिकता का बीज बो आई थी
फिर आया वह पावन दिन खुली सांसों का
पर विभाजन से आँखें भर आई थी
होनी को कोई न टाल सका उस दम
बंटवारे की बात भाई को बाई थी
वह 14 अगस्त की रात थी संकट भरी
शतकों की कुर्बानी हाय! ज़ाया हो गई थी
दिल को समझाया फिर वतन प्रेमियों ने
चलो आजादी दोनों के हिस्से आई थी
15 अगस्त का आया वह सुहाना दिन
जब धरती अपने तिरंगे से लहलहाई थी
कुर्बान हुए थे जो आजादी के खातिर
आज उनकी आत्मा ने शांति पाई थी
देश चल पड़ा था नए सपने संजो कर
संग इस आंगन की हर पुरवाई थी
दशकों की योजनाओं की खातिर
तिरंगे ने अलग ही पहचान बनाई थी
तिरंगा: पार्ट २
रूप इसका सुहाना,भव्य इसकी शान
इसकी रक्षा करना ही है हमारा सम्मान
इसके हर रेशे में है शौर्य की सुगंध
इसकी आवाज़ विश्व में भी है बुलंद
अब सांप्रदायिकता को झड़ से हटाना है
और धूमिल मानसिकता को भी घटाना है
अपने देश पर देखो कोई आंच न आए
हमारी गुप्त नीतियां कोई जांच न पाए
सफर कठिन है विश्व गुरु बनने का
पर उच्च मनोरथ है अपना सहने का
कह रहा तिरंगा मिलजुल कर गर चलो
दूर नहीं है मंजिल, विश्व को दिखा दो
हर कदम हमारा प्रगति की और चले
घर घर सुख शांति की ज्वाला जले
जहां जहां प्रश्न हो देश की मर्यादा का
मिलकर सामना करेंगे हर आपदा का
देश का हित ही हो अपना संकल्प
और न पलो कोई दूसरा विकल्प
देश ही है हर जन जन की पहचान
मिल कर करें हम हर धर्म का सम्मान..
✍🏼 रतना कौल भारद्वाज l
