साहित्य
साहित्य
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सुनो सांवरे ..!
मुझे साहित्य पर लिखना है
क्या लिखूँ..?
तुम्हें ही लिख दूँ क्या..?
मुझे रस/
छन्द/ अलंकार का तो ज्ञान नहीं
मेरे लिए तो तुम ही
कविता/ गीत/ग़ज़ल/नृत्य/ संगीत
सब कुछ हो..!
ये सब विधा तुम में ही समाहित हैं
तुमसे बड़ा साहित्य क्या होगा..?
सूर हो/ रसखान हो / बिहारी हो
या फिर हो मीरा
सब ने तुमको ही तो लिखा है
तो फिर..
लिख दूँ क्या साहित्य का मतलब मेरा सांवरा..!