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प्रियंका शर्मा

Abstract

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प्रियंका शर्मा

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सागर से अंजुरी तक

सागर से अंजुरी तक

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किस काम के हैं ये

सारे सागर

जो सदा प्यासे ही रहते हैं,

अथाह जलनिधि के स्वामी होते हुए भी

इनसे अच्छा तो है वो पनघट भी

जो कर देता है बाल्टी लबालब

वो बाल्टी जो बुझा देती है

धरा की प्यास भी

अपने छलकने भर से ही

और वो अंजुरी जो

टपका देती है कुछ बूँदे

उँगलियों के मध्य से ही।



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