" सागर की आशिकी "
" सागर की आशिकी "
सागर की आशिकी भी देखी है हमने
कभी लहरों से मेरे पाँव का वह चुंबन कर जाता
कभी शरारत से भरकर पूरा मुझे वह भिगा जाता
लिपट सागर के नमकीन बदन से
मेरा मन भी उसकी बाहों में पिघल जाता
घंटों मुझ को वह निहारता
लहरों का संगीत सुना दिल को मेरे वह बहलाता
रात चांदनी में रखती सीने पर उसके अपनी नैया
वह प्यार से मुझ को सहलाता
जानती हूँ इस दुनिया में सागर जैसा
सच्चा साथी ना मुझे मिल पाता ।।