सादगी
सादगी
सादगी पर तुम्हारी हम मर मिटे थे
पहली मरतबा जब हम मिले थे।
कहना था तुमसे बहुत कुछ मगर
जमाने के डर से कुछ कह न सके थे
सादगी पर तुम्हारी हम मर मिटे थे।
मिलते ही नजरों से नजर हम तेरे हो चुके थे
खामोश थे लब और कुछ कह न सके थे
सादगी पर तुम्हारी हम मर मिटे थे
पहली मरतबा जब हम मिले थे।