सादगी और सियासत
सादगी और सियासत
सादगी जो जन्म से पाई है इसलिए
सादगी और ईमानदारी का शौक रखते हैं हम
अंधेरों से भी प्रेम करते हैं क्योंकि इन्होंने तो
अपने - पराए कैसे होते हैं इसका आईना दिखलाया है
कुछ जो बनते थे अपना , जब से
हमने देखा उनका सियासी अंदाज़
हमने भी निगाहें ही कटार सी रख लीं
तबसे सियासत वाले भी हमसे नज़रें चुराकर
पड़ोस से ऐसे निकलते हैं कि कहीं
सच्चाई और ईमानदारी से नज़रें जो मिलीं उनकी
तो भेद उनका कहीं खुल न जाए।
