रुक जाना नहींं
रुक जाना नहींं
हाँ किसी के आदेश का मान रख लेना,
पर बात समझ ना आये तो करना नहीं।
कोई कहे रहने दे तेरे बस का नहीं ये काम,
तो अनसुना कर करते रहो रुक जाना नहीं
महफ़िल में कोई तंज़ मारे यार कैसा तेरा पहनावा,
तो बोलो,अपनी पसंद का मेरे लिये खरीद दे ना भाई।
मुँह पर उड़ाए यदि कोई सिगरेट के छल्ले बना,
तो तैश में आकर जरूर बोलो मैं तेरा यार नहीं।।
कोई तुमसे मिले और बस अपनी शेखी बघारते रहता,
तो ऐसे अकड़ू,खुदपरस्त,लोगों के मुँह लगना नहीं।।
कोई मारवाड़ी कंजूस बोल करें वार जाति पर,
तो बोलो तू ऊँची जाति का,मुझे मुफ़्त में दे दे भाई।
एक ही जीवन मिला है यूँ मत प्रमाद में निकालना,
पड़े-पड़े तो लोहे में भी जंग लगता तू रुक जाना नहीं।