रोटी
रोटी
सूखा बदन और खाली पेट
हाथ पसारे, भूख का आखेट
अश्रुपूरित आंखें, जीवन मटियामेट
मांग बड़ी ही छोटी
सिर्फ दो वक्त की रोटी।
खाना पाने करता काम
छोटी कमाई, नहीं आराम
थका, हारा, भूखा लौटे शाम
आड़ी तिरछी पतली या मोटी
सुकून दे सिर्फ रोटी।
सूंघ सूंघ कर दर दर जाए
दुत्कार मिले कहीं लाठी पाए
कभी भूखा कभी कचरा खाए
हाय! ये किस्मत खोटी
नसीब नहीं है रोटी।
तंगी और महंगाई
आय सीमित, नहीं राशन भरपाई
सबने खा ली आधी - आधी
मां भूखी ही सोती
ख्वाब बनी है रोटी।
कोई गटर में डूबा जाए
कोई नंगे तारों पे चढ़ जाए
पर खाने में पानी ही खाए
चढ़ ली आसमान की चोटी
नहीं मिली कहीं रोटी।
मांग मांग कर कुर्सी छीना
कुर्ता सीया, कर चौड़ा सीना
मुमकिन हुआ तब जीना
लगाकर पैसों की टोटी
पाई दो वक्त की रोटी।
ताज़ा, बासी, पूरी, आधी
घी वाली या सूखी सादी
आड़ी, तिरछी, पतली, मोटी
ज्यादा, कम, बड़ी या छोटी
मजबूर बैठ सब हाथ पसारे
मांगे, दो वक्त की रोटी।