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Robin Jain

Abstract

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Robin Jain

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मैं तेरा तू मेरा राम

मैं तेरा तू मेरा राम

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वचनबद्ध तटस्थ अति गम्भीर

मनमोहक मुस्कावत सिंह

सा अति वीर


साहस शील धीरज का नाम

धूप भयी सो शीतल शाम

जिन देखे तिन बनते धाम


शीश झुकाऊं करूँ प्रणाम

हृदय विराजो मेरे श्री राम


चहूँ दिशा तिहरे गीत गावत

उल्लास भरे सुन अति मन भावत

भजन तेरा बस यही हो काम

भक्ति दीजो ऐसी श्री राम


वत्सलभाव बालपन क्रीड़ा

आदर्श यौवन हरे मन पीड़ा

राजकाज का अद्भुत ज्ञान

राज करो मुझपे श्री राम


सेवा में मुझ को भी लिजो

चरण धूलि थोड़ी सी दिजो

अश्रु सिंचित भक्ति का भोग

अकिंचन समझे मुझको लोग

चुकाऊं और क्या भक्ति का दाम

स्वीकारो जो मुझ को हे राम


स्वप्न तेरे तू ही आराम

आँख खुली तो तेरा ध्यान

रोम रोम में तेरा नाम

मैं तेरा तू मेरा राम..


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