कहां हूं मैं..
कहां हूं मैं..
मैं सोचता, यहां हूं मैं
या जो सोचता, वहां हूं मैं!
अस्तित्व मेरा है कहां
ना जानता कहां हूं मैं..
फंसा किसी रंजिश में
मरुस्थलीय तपिश में,
सुखता हूं प्यास से
या भीगता हूं आग से,
स्थिर कहीं पड़ा हुआ
या लहरों में बहा हूं मैं,
मैं सबसे हूं ये पूछता
मैं सबको ही पुकारता,
ना जानता, कहां हूं मैं..
ज़िन्दगी की होड़ में
फ़िज़ूल सी दौड़ में,
बेवजह जखम लिए
परेशान ही रहा हूं मैं,
मैं बैठता जमीं पे हूं
ना जानता कहां हूं मैं..
बंद आंखों का जहां
सपनो की कहानियां
बस यहीं रहा हूं मैं,
कुछ ख़तम कुछ शुरू
ना जानता कहां हूं मैं
