रोशनी का अंधेरा
रोशनी का अंधेरा
रोशनी भी क्या लड़की थी
बड़ी शरारत करती थी
अपने कोचिंग की जान थी
अपने ग्रुप की शान थी
रोशनी जाने क्यों आज चुप सी थी
बनना वो पुलिस चाहती थी
लगता है रोशनी के जीवन में अंधेरा आ गया
कोई उसे था खूब डरा गया
लेकिन ऐसा उसने क्यों किया
रोशनी को क्यों जला दिया
सपने रोशनी के थे
असहज वो क्यों हो गया
रोशनी तो अलविदा हो गई
जाने कितनी ही बार रोशनियां अंधकार में समां गई।