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Mayank Kumar

Romance

3  

Mayank Kumar

Romance

रोज घबराया

रोज घबराया

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रोज घबरा

फिर तुझे पाया

मुश्किल था रोना

पर तू ने रुलाया

हास्य बना जीवन

पर,

कल्पना ने संभाला

मेरी छोटी सी कल्पना में

तेरा था छाया।


हाय रे !

पीतांबर क्या तूने कर डाला ?

अपने हाथों से

अपार दुख दे डाला !

पर जो भी था अच्छा था

इससे तुमसे जुड़ा रहा .......!


इसलिए आस है

इसलिए खास है

कभी तो उत्साह है

लेकिन ,

फिर भी

जीवन अपने में हास्य है।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
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