रंगलीनी चुनरिया
रंगलीनी चुनरिया
रंगलीनी है चुनरिया
मेरे रंगीले साँवरियां
चाहे जुल्म करे कोई
चाहे हुकुम करे कोई।
चाहे झूठ की चादर बिछाए कोई
सच सुनके है झुठ मुस्काय है
हम ना टूटे हम ना टूटेंगे
स्नेह से भरो मेरो मन।
बूंद बूंद से घट स्नेह से भर दूंगी
चाहे आसमां रोए
चाहे समुन्दर भिगोए
स्नेह भरो मेरो आंचल।
शीतल मंद बयार बन देव
शीतल कर जाऊँगी
फागुन के रंग में
मनमोहन तोय रंग जाऊँगी।
तन मन रंगो तेरे रंग में
रंगलीनी हे चुनरिया
मेरे रंगीले साँवरिया।।

