#रंग बरसे.नेह रंग
#रंग बरसे.नेह रंग
प्रीत के रंग कब
रंगेगी मोरी चुनर,
आ जाओ साजन
कि अब मन तरसे
लागी तोह से लगन
मेरे नटखट जबसे,
सखियाँ छेड़ने लगी हैं
निकलूँ जब घर से
अपने रंग में रंग दे कान्हा
कई अंदेशे से मन हदसे,
बाट तेरी देखूँ मोहन
खड़ी मैं द्वार पे कबसे
कोरा कोरा मन मेरा
अंग से जैसे महुआ बरसे
आजा ए जो एक बार
ना जाने दूँ तोहे अबसे,
प्रेम बंधन में बंध जाऊँ
ज़ब नेह का रंग बरसे!

