रजनी
रजनी
रजनी भला हो तेरा
तू आ गई
कम से कम दो पल
सोने का सुकून तो मिलेगा।
थक गई हूं मैं
सुबह से ढोते-ढोते-
जिम्मेदारियों का बोझ
कार्यों का दबाव
झमेले दुनियादारी के
उलझनें उलाहनों की।
चल चंद प्रहरों का सही
आराम तू दिला गई
रजनी भला....
तू कल भी जल्दी आना
मुझे मेरे उलझे हुए घेरों से
बाहर निकलवाना
शुक्र है जिंदगी की
चंद घड़ियाँ तुझमें हैं
समा गईं।
रजनी भला हो तेरा
तू आ गई।
