STORYMIRROR

कवि काव्यांश " यथार्थ "

Romance Classics Inspirational

4  

कवि काव्यांश " यथार्थ "

Romance Classics Inspirational

।।रिश्तों में मिठास।।

।।रिश्तों में मिठास।।

2 mins
292

प्रस्तावना:-  ये कविता एक हल्की-फुल्की, हास्य-व्यंग्य से भरपूर आपसी रिश्तों में प्रेम को दर्शाता हैं, जिसमें पति-पत्नी के प्यारे प्यारे नोंकझोंक, हाजीरज़बावी और मजेदार किस्सों को सम्मिलित करने का प्रयास किया गया है। आजकल रिश्तों में तकरार, मनमुटाव, दोषारोपण, आपसी सूझबूझ की कमी इतना बढ़ चुका हैं कि रिश्तों में दरारें पैदा होने लगी हैं, वही अगर पति पत्नी दोनों समझदार हो और आपस में एक दूजे को अच्छी तरह से समझतें हैं और हर बात में खुशियां ढूंढते और बांटते हैं तो कभी रिश्तों में खटास पैदा होगी ही नहीं, इसी को ध्यान में रखते हुए इस कविता को लिखने का प्रयास किया गया है।। ---

कविता:-

 "चाय में शक्कर, प्यार में तकरार"

सुबह-सुबह जब बीवी बोली,
“उठो जी, देखों तो
सूरज सिर पे चढ़ आया है!”
पति बड़े प्यार से बोले,
“मैं तो सपने में बॉस से बचके भागा था, तुमने फिर से मुझे जगाया है!”

बीवी हँस के बोली,
“सपनों में भी काम करते हो?
वाह जी, बड़े कर्मठ हो!”
पति बोला, “क्या करूँ जी,
असल में तो मैं पहले ही पिघल चुका हूं
लोहे जैसा तुम कठोर हो!”
नाश्ते में पराठा माँगा,
मिला सिर्फ टोस्ट और उपदेश हैं,
बीवी बोली, “डाइट रखो!
पेट है तुम्हारा या सरकारी भंडार का विशेष हैं?”
पति बोला, “तुमने जबसे जिम ज्वाइन किया हैं, घर की रोटियाँ गायब हैं जी,”
बीवी गरजी, “तुम्हारे पेट के पीछे तो का आलू भी शरमाए भैया जी,
साफ कहूँ - ये हाय-हेल्दी का ज़माना है!”

संडे को टीवी पर मैच चल रहा था,
पति मग्न हो बैठा,
तभी बीवी ने रिमोट छीना और बोली,
 “अब देखो सास-बहू का नया पटाखा!”
पति बोला, “अरी, ज़रा विकेट तो गिरने दे, ये धोनी अभी तो चौका मारेगा…”
बीवी बोली, “मेरे सीरियल में भी तो आज ‘रश्मि’ की सगाई टूटेगी –
यही तो असली ड्रामा चलेगा!”

शाम को बाज़ार चले दोनों,
बीवी चली शॉपिंग मोड में,
पति बोला, “चलो जल्दी,
सरकार पार्किंग चार्ज़
लग रहा हर मोड़ में!”

बीवी बोली, “देखो वो पिंक कुर्ती
हाय! कितनी प्यारी है,”
पति बोला, “हमारे घर की दीवारों से मैच हो रही – वही दोनों की यारी है!”
रात को खाने में फिर सब्ज़ी वही –
“लोकी की कहानी हैं”
पति बोला, “ज़िंदगी में excitement रहे तो क्या बात बन जानी हैं।"
बीवी मुस्काई,
“तो कल से मैं फिर बैंगन बनाऊं?”
पति डर गया, बोला, “नहीं नहीं! तुम बस पनीर-राजमा ही बनाओ,
मैं तुम्हारा भक्त बन जाऊँ!” ---

अंत में -
ये रिश्ता है
कुछ खट्टा, कुछ मीठा, कुछ नमकीन,
थोड़ी लड़ाई, थोड़ी मस्ती हैं–
पर दिल से है ये क्लीन।
प्यार की ये नोकझोंक
यूँ ही चलती रहे,
बीवी बोली, “हे जी, आगे भी मैं ही जीतूँ” –
पति बोले, “प्राण प्यारी, तू जो कहे!” ।।





 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance