रिश्ते
रिश्ते
नानी का बटुआ है जो
रिश्तों की पोटली है वो।
अनगिनत रिश्ते बंद है उसमें,
कुछ खट्टे, कुछ मीठे।
यादों के झरने बसते हैं उसमें,
कुछ बहते, कुछ रूके से
कुछ रुआँसे, कुछ खोए हुए।
नानी आँखों से बहते हैं रिश्ते,
नानी की पोटली में रहते हैं रिश्ते।
नानी की पोटली खोलनी है एक दिन
रिश्तों को वापस लाना है एक दिन।