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Shailaja Bhattad

Drama

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Shailaja Bhattad

Drama

रिश्ते

रिश्ते

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कपड़ों पर लगी मैल धुल तो सकती है

पर दिमाग पर चढ़ी मैल की परतें कैसे धोओगे।


गलत राह से सही राह पर आ तो सकते हो

पर टूटे रिश्तो को भला कैसे जोड़ोगे।


जुड़ भी गए तो गाँठें कैसे खोलोगे।

टूटे हुए दर्पण में अपना चेहरा कैसे देखोगे ।

काँच के टुकड़ों की चुभन को कैसे सहोगे।।


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