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Madhu Vashishta

Action Inspirational

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Madhu Vashishta

Action Inspirational

रिश्ते जरूरत के

रिश्ते जरूरत के

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दोस्ती और दुश्मनी में फासला सिर्फ जरूरत का है।

जरूरत थी जब दोस्त की तब तो दोस्त था।

जब जरूरत हुई खत्म तो दोस्ती भी खत्म।


यदि रिश्तेदार है अमीर ,तो है करीब का,

जब रिश्तेदार हुआ गरीब, तो रखा नाता दूर का।

जब पैसा हुआ खत्म तो रिश्तेदारी भी खत्म।


जब दफ्तर में पद मिला था तो लोग सलाम करते थे।

कहीं कहीं से ला करके जेबें भी तो भरते थे।

रिटायर हुए जब नौकरी से ,तो लोगों से पहचान भी खत्म।


यह तो थी बाहर की बातें, घर में यह क्या हुआ?

जब अपनी हर चीज के किए बच्चों में बंटवारे, 

सोचा अब आराम से जीएंगे सब कामों से मिले छुटकारे,

लेकिन अब घर में बैठे तो वह जरूर है ,

लेकिन लगता है जैसे उनका कोई अस्तित्व ही नहीं है।


इसीलिए तो कहते हैं संसार में रहकर सीख लो जीना।

नाम लेकर परमात्मा का अपना काम स्वयं ही करना।

वरना एक दिन किसी कोने में अस्तित्वहीन हो जाओगे।

जिंदा तो जरूर रहोगे लेकिन जीवन की हर खुशियों से हीन हो जाओगे


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