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Phool Singh

Drama Classics Inspirational

4  

Phool Singh

Drama Classics Inspirational

रावण-रानी मंदोदरी संवाद

रावण-रानी मंदोदरी संवाद

2 mins
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त्रिलोकी की सर्वश्रेष्ठ सुंदरी

जो दशानन की अर्धांगनी बनी

पाँच सतियों में नाम है जिसका 

जिसे रामायण सर्वगुण संपन्न स्त्री कही।।


राम-सीता के विछोह से दुःखी है रहती

रावण से जो कई बार लड़ी

नर नही नारायण राम है 

हमेशा सीता को उनकी शक्ति कही।।


बल-बुद्धि से जो जीता जाए

वैर उसी के साथ सही

अंतर जुगनू-सूर्य सा राम-रावण में 

वही लंकेश को वो हर बार कही।।


मधु-कैटभ दो दैत्य को मारे

जिन्हें वराह-नृसिंह ये दुनियां कही

हिरण्याक्ष-हरिण्यकशिपु को जो संहार

उन्हें वामन-परशुराम भी कहते सभी।।


जिनके हाथ में काल-कर्म-जीव

विरोध उनसे न ठीक कभी

जानकी उनको सौंप के स्वामी 

क्यूं करते न उनसे क्षमा-विनती अभी।।


वन जाने की उम्र हमारी

सब पुत्र को सौंप कर चलो अभी 

दीन-दुखियों पर दया जो करते

उनकी शरण में चलते आज-अभी।।


दोनों भजन करेंगे उस ईश्वर का 

सारी दुनियां जिसने रची

श्रेष्ठ मुनीजन जिनकी साधना करते 

वैरागी होकर चलो वहीं।।


वर्णन करूं क्या उनके दूत का

न राक्षसों में कोई उनसा बली

राक्षस स्त्रियों के गर्भ गिर जाते

जो याद आ जाते उन्हें हनुमान कभी।।


हाथ मैं जोड़ चरण हूं पड़ती 

बात को समझों इस अभागिन की

मंत्री को बुलाओं आज-अभी तुम 

श्री राम को दे दो उनकी सखी।।


रक्षा करें न शिव, ब्रह्मा, विष्णु

श्री राम की शक्ति सीता रही

सर्पों के समान है बाण, तीर-कमान सब

समक्ष जिनके राक्षस मेंढक समान सभी।।


करता हंसी-ठिठोले रावण बोला

हमेशा मुर्ख -डरपोक कहलाती स्त्री सभी

कच्चा होता ह्रदय उनका

इसलिए विश्वास न होता उसपे कभी।।


जीवन निर्वाह करेंगे राक्षस सारे

खा वानरों की सेना वो सभी

निडर-निर्भीक रहो रानी मंदोदरी 

खुद, रावण भी किसी से कम नहीं।।


यक्ष-देव-दानव मैने सारे जीते 

क्या नर-वानर की औकात रही

बलशाली के सब रक्षक होते 

कोई न कमज़ोर-गरीब को पूछे कहीं।।


सहमी-डरी सी मंदोदरी बैठी

विधाता ने कैसी माया रची

सुनने को तैयार न प्रियतम

मैने नीति संगत जितनी बात कही।।


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