STORYMIRROR

Ratna Pandey

Tragedy

4  

Ratna Pandey

Tragedy

रावण ख़त्म कभी ना होंगे

रावण ख़त्म कभी ना होंगे

1 min
458

मार कर रावण को राम ने किया बुराई का अंत, 

फिर कहाँ से आ गए इतने बाहुबली भुजंग,

 

कैसे निकलें घर से बेटी, हर राह में रावणों का है कहर, 

उठा ले जाते बेटियों को, राह में नहीं मिलता कोई गरुड़।


ऐसे लिप्त होते वासना में, दया की भीख नहीं सुन पाते, 

नहीं आएगा राम कोई, इसीलिए गलती यह दोहराते।

 

करके मनमानी अंत में निर्दयी जान तक ले लेते, 

स्वयं की रक्षा की ख़ातिर, सबूत कोई ना बचने देते।


 इतनी बुराई भरी रग रग में, कौन उन्हें समझाए, 

जलाकर रावणों को बुराई ख़त्म अभी तक ना कर पाए।


जब तक है यह संसार, रावण ख़त्म कभी ना होंगे, 

जला जला कर थक जाओगे, पैदा हज़ार दूसरे होंगे।


 करना है गर ख़त्म रावणों को, तो पुतला ना जलाओ, 

बीच चौराहे पर खड़ा करके, उनमें सचमुच आग लगाओ।  


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy