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रात का मौसम

रात का मौसम

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इन हँसी रात का मौसम,

सुबहा तक ठहरता हे

इन हँसी ऋत मे,

तुम, निखर जाओ

आज ये दिल कहता है

इन हँसी आलम,

मदहोशी का छा रहा है

इस आलम में तुम भी 

मदहोश बन जाओ

आज ये दिल कहता है

दिल के समुन्दर में,

तूफान मचल रहा है

इस दिल के भँवर में,

तुम भी डूब जाओ

आज ये दिल कहता है

ये खुला आसमान आज,

जमीं पर उतर रहा है

इन जमीं पर तुम,

चाँद बनके चाँदनी फैलाओ

आज ये दिल कह रहा है

मुहलत है इस दिल को

बस पल दो पल की

इन एक एक पल को,

उम्र में तब्दील कर दो

आज ये दिल कहता है।


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