Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Ajay Singla

Classics

4  

Ajay Singla

Classics

रामायण ३५ ;सम्पाती से भेंट

रामायण ३५ ;सम्पाती से भेंट

2 mins
23.7K



वानर सब विचार कर रहे

अवधि पूरी हो चुकी अब

सीता की कोई खबर मिली ना

मारे जायेंगे अब, सब के सब।


जाम्ब्बान ढांढस बँधायें

मनुष्य नहीं हैं, राम ईश्वर हैं

न होने दें कष्ट सेवक को

उनके होते कोई न डर है।


पर्वत कंदरा में सम्पाति बैठा

आया बाहर ये बातें सुनकर

गिद्ध राज देखें वहां पर

हर तरफ बन्दर ही बन्दर।


सोचे भेजा है आहार ये

प्रभु ने कृपा की मेरे ऊपर

बहुत दिनों से भूखा हूँ मैं

आज खाऊंगा पेट मैं भरकर।


वचन सुना जब सब वानरों ने

सोचा खा जायेगा मारकर

धन्य थे गिद्धराज जटायु

अंगद बोले , मन में विचारकर।


बोले राम के कार्य के लिए

शरीर छोड़ दिया, परमधाम गए

सुनकर ये सब सम्पति फिर

वानरों के थे पास चले गए।


जटायु का वृतांत सुना सब

बोले मेरा भाई था वो

ले चलो मुझे समुन्द्र किनारे

तिलांजलि अब दे दूँ मैं उसको।


इस सेवा के बदले में मैं

सीता का तुम्हे पता बताऊँ

करके क्रिया अपने भाई की

कहते अब अपनी कथा सुनाऊँ।


जवानी में हम दोनों भाई

उड़कर पहुंचे सूर्य के निकट

जटायु लौटा ,सह न पाया तेज को

सूर्य का तेज था बहुत विकट।


मैं अभिमानी पास चला गया

पंख मेरे जल गए थे सारे

चीख मारकर गिरा धरती पर

मुनि चन्द्रमा वहां पधारे।


उनको मुझपर दया आ गयी

ज्ञान वो दें, अभिमान छुड़ाएं

बोले त्रेता युग आएगा

मनुष्य रूप धरकर प्रभु आएं।


स्त्री की खोज में दूतों को भेजें

तू मिलके पवित्र हो जाये

सीता जी को दिखा देना तुम

पंख तेरे फिर से उग आएं।


त्रिकूट पर्वत पर लंका

राक्षस रावण रहता है जहाँ

अशोक नामक एक बगीचा

सीता जी को रखा है वहां।


गिद्ध दृष्टि से देखा सब मैंने

पर कपि वही वहां जा पायेगा

अपनी बुद्धि बल से समुन्दर

सौ योजन जो लाँघ जायेगा।


सब लोगों को ये संदेह था

ये काम कोई न कर पाए

जाम्ब्बान बोले हनुमान से

ये काम तुमको ही भाये।


पवनपुत्र तुम, बलशाली हो

बुद्धि, विवेक की तुम हो खान 

अवतार तुम्हारा हुआ इसी लिए

कर सकते तुम ही ये काम।


शक्ति सारी याद आ गयीं 

आकार हुआ पर्वत समान

तैयार हुए पार जाने को

अलग ही थी तब उनकी शान।


 

 




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics