राजीव गांधी (एक सुलझे राजनीति)
राजीव गांधी (एक सुलझे राजनीति)
उस सुबह घर पर अखबार आया,
खून से सना और चीखों से भरा आया।
बीती रात हमने एक हीरा खोया था,
देश ने अपना युवा शासक खोया था,
उस रात बुझ गया जगमगाता दीपक और अंधेरे में डूब गई रात,
इतिहास के पन्नो में अमर हो गई वो रात।
उस सुबह घर पर अखबार आया,
खून से सना और चीखों से भरा आया।
पहले पन्ने पर एक सवाल था,
क्या आज आतंकवाद जीता गया था,
क्यूं आज राजनीति धराशायी हो गई,
क्यूं आज देश की व्यवस्था हार गई।
उस सुबह घर पर अखबार आया,
खून से सना और चीखों से भरा आया।
अगले पन्ने पर कुछ सुनहरा लिखा था,
देश को इलेक्ट्रॉनिक क्रांति देना वाला नेता अब दुनिया छोड़ कर जा चुका था,
उनकी मृत्यु की सूचना मिलते ही सारे देश में एक मोन सा छा गया,
उस रोज अखबार सिहायी से नही खून से लिखा गया।
उस सुबह घर पर अखबार आया,
खून से सना और चीखों से भरा आया।
सुनहरी कलम से इस देश की बदलती कहानी उन्होंने लिखी थी,
कल के भारत की एक तस्वीर उन्होंने रची थी,
एक सुलझा किरदार आज हमारे बीच नहीं रहा,
राजनीति नहीं एक बेहतरीन नीति ने आज दम तोड़ा था।