राजा का उपाय
राजा का उपाय
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एक बार की सुनो कहानी
बात ये बिल्कुल सच्ची।
राजा था एक बहुत भला
और जनता भी बहुत ही अच्छी।।
पर प्रकृति का खेल अनोखा
पूरे राज्य में पड़ गया सूखा।
कुँए और तालाब थे सूखे
अन्न का न एक दाना उपजे।।
राजा को पता चली एक बात
भूखी जनता को नहीं मिला
व्यापारियों का साथ।
अन्न का था उनका भंडार
पर मुफ्त में देने को नहीं तैयार।
खाने का पड़ गया अकाल
सबका हो गया हाल-बेहाल।
युक्ति भी कोई समझ न आय
फिर राजा को सूझा एक उपाय।।
राजा जी ने दिया आदेश
दे दो सबको यह संदेश।
जो भी करेगा अच्छा काम
उसे मिलेगा राजा की ओर से बड़ा इनाम।।
बस फिर क्या था
लोगों में मच गई थी होड़।
करना चाहे हर कोई उपकार
और पाना चाहे बेजोड़ इनाम।।
कोई बाँटता सोने-चाँदी
और सजा दिये दस्तरखान।
भूखे लोगों को मिलेगा खाना
और उस पर देंगे मीठा पान।।
भरपेट भोजन सबको मिलता
अब न सोता कोई भूखा।
कुछ माह क्रम यही चलता रहा
वर्षा ऋतु आ जाने से खत्म हुआ सूखा।।
भर गये ताल-तलैया और भर गईं सारी नदियाँ
भरपूर फसल हुई इस बार दूर हो गई सारी कमियाँ।
राजा ने भी परोपकारिता का किया सम्मान
दिया ढेर सारा इनाम।