राहें ज़िंदगी की
राहें ज़िंदगी की


राहें ज़िंदगी की
खुद ब खुद आसान हो जाएंगी।
न कुछ तुम मुझसे छुपाना
न मैं कुछ तुम से छुपाऊँगी।
बस थोड़ा सा
तुम मुझको समझ जाना,
थोड़ा मैं तुमको समझ जाऊँगी।
साथ चलना है हमको
बन के हमसफ़र।
तब किस बात की है जिरह
किस बात की है फ़िकर
कुछ फ़िक्र को तुम
धूल के गुबार में उड़ा देना।
कुछ फ़िक्र को मैं
अपनी मुस्कुराहटों के तले दबा दूँगी।
क्या ये वक़्त बे वक़्त का
रूठना मनाना।
क्षणभंगुर सी ज़िंदगी
क्या इस पे इतराना।
अकेलेपन में कहाँ जश्न है,
हमें साथ चल के ही
हर मंज़िल को पाना है।