राधा न सही मीरा तो हूं
राधा न सही मीरा तो हूं


इनकार के वो तीन शब्द
आज भी हमे सताती हैै,
पर राधा न सही मीरा तो हूं
यही जीने का कारण बन जाता है।
साथ बिताए वो लम्हें
बस यादों में रह गया,
हकीकत बनने से पहले ही
जुदाई ने हाथ थाम लिया।
प्यार के वो शब्द
बस शब्दों में ही रह गया,
लफ्ज़ों में आने से पहले ही
अपना अस्तित्व मिटा गया।
साथ निभाने का ये दास्तान
जब सीमाहीन अंत दे गया,
राधा न सही मीरा तो हूं
यही जीने का कारण बन गया।
- अपर्णा