जब भरोसे ने दिया धोखा
जब भरोसे ने दिया धोखा
जब भरोसा ने दिया धोखा
आंखें खुली मेरी,
जान गई शकुनी की चाल
जान गई मैं भरोसे का हाल।
सोचा नहीं था कभी
लेकिन जान गई तभी,
गलत किया था मैंने कभी
जब भरोसे ने धोखा दिया अभी।
कसूर क्या मेरा पता नहीं
क्यों किया ऐसा बताया नहीं,
मुझे छोड़ गए क्यों पता नहीं
अब जीने की कोई आस नहीं।
अपना कष्ट को छुपा लिया
सारा दर्द मैंनेे सह लिया,
सारी उम्मीदें तोड़ दिया
जब भरोसे ने ही धोखा दीया।
