प्यासा
प्यासा
पानी से प्यासा
सारा जहाँ है ।
नदी नाले तालाब
और सब कुआँ है ।
बरसात का मौसम है
बारिश बस रिमझिम है
न चमक रही विजली
न बादल बरसते है ।
नदी और नाले
सूखे पड़े है
कुऐ भी सारे
खाली पड़े है ।
खेत और तलाब
बारिश बिन सब
सूखे पड़े है ।
पनघट भी ऐसे
खाली पड़े है ।
मौसम बरसात का है
बरसात नही हो रही है
सारा जहाँ प्यासा है ।
उमड़ते घुमड़ते इन
बादलो से आशा है ।
किसान का निराश मन
बादलो को देखता है
आशा और निराशा
की धूप छांव देखता है ।
साजन बिन सजनी
भी ब्याकुल लगती है ।
तन मन की प्यास बुझे
बारिश जब होती है ।