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Debashis Bhattacharya

Drama

5.0  

Debashis Bhattacharya

Drama

प्यारा शरीर

प्यारा शरीर

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प्यारा शरीर,

इस दुनिया में,

रॉब जमाऊँ,

तेरे लिए हम,

मैं न जानूँ तू कैसे,

देता है मुझे गम।


तेरे सुख में कमी न हो,

बनाया दस महल,

सुन्दर में तू चमक उठे,

लगाया केसर कोमल।


जीने में तकलीफ कभी न हो,

कमाया धन विशाल,

चलते फिरते महसूस न हो,

रखा गाड़िया सवार।


जीव का रोना भूख में खाना,

पाना है आसान,

लोभ-लालचों को पूरे किये,

लिए जानवरों की जान।


पीता हूँ मैं पीना है जब,

महल शीशा में शीशा,

आदत न बदले, बने न सेहत,

बने उसकी गुलाम।


आँखों में तेरी रौशनी मिले,

दिल में जमे उमंग,

सुन्दर सबकुछ देख तो लूँ,

यौवन उड़ती पतंग।


मन का सुख मन में रहें,

मनाया तुझे अपना,

जीवन साथी साथ में हो,

जीवन जो हो सपना।


फिर भी तू कैसे देता मुझे,

रोग, शोक और डर,

पश्चाताप मे अब मैं सोचा,

कैसे किये कमाल,

तुझ पर बैठे हैं वो कैसे,

कभी न किये ख्याल।


अब तो वारी तुझे छोड़कर,

जाने में आसमान,

सबकुछ तुझे दे कर मिला,

नींद और अंगार।


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