प्यारा सा आलिंगन
प्यारा सा आलिंगन
प्रेम नहीं ये है तुमसे सच्चा बंधन
ये बंधन नहीं ये है प्यारा सा आलिंगन
बंध गया इसमें स्वच्छंद बेहद खूबसूरत है जीवन
आंखों से पढ़ता हूं तुम्हे लिखता हूं स्वच्छंद
कितना संवेदना है तुममें मेरी चेतना खुले
लिख दिया एक संवाद जीवन कैसे ना कहूं
तुम्हे निश्छल निर्मल प्रेम रूपी सागर
महक उठता क्षण-क्षण, जैसे हो चंदन
शेष न बची अभिलाषा
कितना अनुपम तेरा कंण कंण
मिलन बेला अब है आई, दूर करो ये अनबन,
बाहों में भर कर लो मेरा सारा जीवन अर्पण
जब मन आँगन में
प्रीत का दीप जला लिया
समझो तो तुम लो की तड़पन
तुमको को पा लिया यानी स्वर्ग में आ गय
मुख न मोड़ो अब तो, कर लो इसका वंदन,
प्रेम नहीं ये है तुमसे सच्चा बंधन
ये बंधन नहीं ये है प्यारा सा आलिंगन
बंध गया इसमें स्वच्छंद बेहद खूबसूरत है जीवन।

