प्यारा हमसफ़र..!
प्यारा हमसफ़र..!
कैसी होती है ख़्वाबों की राजकुमारी
या फिर सपनों का राजकुमार..?
क्या पता..!
कौन कौन सी खूबियाँ समायी रहती हैं उनमें
किस जहां से आती हैं और किस लोक को है जाती
ये भी नहीं जानती..!
कैसे जानूँ...!
कौन बताये
किससे पूछने जाऊँ..?
पर हाँ..!
इतना ज़रूर सोचती हूँ
हर किसी को स्वप्नलोक का शाहजादा / शहजादी
मिले ना मिले पर एक ईमानदार शख्स मिले
सच्चा हमसफ़र / समर्पित जीवन साथी मिले
शारीरिक सौष्ठव हो ना हो
वाह्य सौन्दर्य खिले ना खिले
पर..
आन्तरिक सौन्दर्य हो
मानसिक सौष्ठव हो
ना हो कोई स्वप्न महल / हवा महल
पर..
प्रेम भरपूर हो तो कुटिया भी शीश महल लगे
ना मिले वैभव / राजसी ठाठ बाट कोई बात नहीं
पर..
एक दूजे के लिए मान सम्मान पूर्ण हो
नहीं लाखों का सजावट हो /
हीरे जवाहरात हो पर..
आपसी सहयोग हो
एक दूसरे के लिए आदर हो
समाज समष्टि के मध्य सम्मान दे...!
बस बड़ी बड़ी ना सही छोटी छोटी ख़ुशियों में
साथ हो एक दूसरे का..!
बस और क्या...?
ज़िन्दगी वैसे ही ख़ुशनुमा हो तो फिर क्या चाह..!!