तुम्हारे लिए कुछ ,
बचा कर रखा है मैने ,
सोचती हूँ ....
तुम्हे दे दूँ आज |
तुम्हे पता है ना क्या ?
अरे वही ....
अपना ज़िस्म ,
जिससे तुम खेलोगे |
ज़िसे लोग प्यार कहते हैं ,
जिसमे डूबने पर ...
एक सुखद अनुभूति का ,
एहसास होता है |
पर तुम मना मत कर देना ,
वरना मैं टूट जाऊँगी ,
और बिखर के मेरे सपने ,
दुबारा नहीं आयेंगे |
भले ही ये वासना है ,
पर सच में बहुत कामुक है ,
जब मैं मचलती हूँ ,
और तुम बिखरते हो |
तुम आओगे ना लेने ?
मेरे इशारे पर .....
हम दोनो झूमेंगे आज रात ,
फिर उसी मदहोशी में |
जहाँ काम और रति ,
व्यस्त होंगे ....
रतिक्रीणा में ,
और हम कहेंगे उसे प्यार ||