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Pratiksha Rani

Romance

4  

Pratiksha Rani

Romance

प्यार से ज्यादा

प्यार से ज्यादा

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तुम्हें चाहती रही मैं जान से ज्यादा 

तुम्हें मानती रही ईमान से ज्यादा

जो रुसवाई तुमने संग मेरे किया 

और मैं मानती रही भगवान से ज्यादा 

तुम्हें चाहती रही मैं जान से ज्यादा

तुम्हें मानती रही ईमान से ज्यादा

तू प्यार था मेरा,संसार था मेरा

इस बेगानी दुनिया में सरताज था मेरा

तू छोड़ कैसे गया ?दिल तोड़ कैसे गया ?

क्या चुभा नहीं तुमको एक बार ओ यारा ? 

तूने तोड़़ा है मुझे टुकड़ों में जीतना 

तू रोएगा सनम हद से ज्यादा 

तुम्हें चाहती रही मैं जान से ज्यादा

तुम्हें मानती रही ईमान से ज्यादा........


 



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