STORYMIRROR

Pratiksha Rani

Romance

4  

Pratiksha Rani

Romance

प्यार से ज्यादा

प्यार से ज्यादा

1 min
270


तुम्हें चाहती रही मैं जान से ज्यादा 

तुम्हें मानती रही ईमान से ज्यादा

जो रुसवाई तुमने संग मेरे किया 

और मैं मानती रही भगवान से ज्यादा 

तुम्हें चाहती रही मैं जान से ज्यादा

तुम्हें मानती रही ईमान से ज्यादा

तू प्यार था मेरा,संसार था मेरा

इस बेगानी दुनिया में सरताज था मेरा

तू छोड़ कैसे गया ?दिल तोड़ कैसे गया ?

क्या चुभा नहीं तुमको एक बार ओ यारा ? 

तूने तोड़़ा है मुझे टुकड़ों में जीतना 

तू रोएगा सनम हद से ज्यादा 

तुम्हें चाहती रही मैं जान से ज्यादा

तुम्हें मानती रही ईमान से ज्यादा........


 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance