जहाँ होती खड़ी, मेरे सपनों की इमारत, वह सुनसान पड़ा है। जहाँ होती खड़ी, मेरे सपनों की इमारत, वह सुनसान पड़ा है।
जिंदगी हरपल नया सबक सिखा जाती है हालात दिखा नये नये रंग दे जाती है। जिंदगी हरपल नया सबक सिखा जाती है हालात दिखा नये नये रंग दे जाती है।
तुम्हें चाहती रही मैं जान से ज्यादा तुम्हें मानती रही ईमान से ज्यादा। तुम्हें चाहती रही मैं जान से ज्यादा तुम्हें मानती रही ईमान से ज्यादा।