प्यार के फूल
प्यार के फूल
वो प्यार ही क्या जो पल पल बदलता रहे,
वो एहसास ही क्या जो पल पल बदलते रहे,
प्यार कोई खेल नहीं जो खिलौने की तरह बदलते रहे,
वो प्यार ही क्या जो जरा सी ठोकर लगने पर नफरत का रूप ले ले,
माना कि प्यार और नफरत एक ही दिल से लोग करते है,
पर जिंदगी प्यार से जीने का नाम है,
चार दिनों की जिंदगी में प्यार बांटते चलो,
नफरत को न दिल में जगह बनाने दो,
अपनों की गलतियों को नादानियां समझकर भुला दो,
उनको सही दिशा सही रास्ता दिखा दो,
नफरत करके क्या मिलेगा तुमको,
प्यार दिलो में रखकर आगे बस आगे बढ़ते चलो,
जात-पात दिलों को बांटती हर पल हमेशा ही,
भूल जाओ ये जात-पात इंसानों ने इसको बनाया,
ईश्वर की इस सृष्टि पर है सब एक समान,
ईश्वर ने प्यार सिखाया सबको नफरत नहीं,
ईश्वर की इस सृष्टि पर बस प्यार के फूल ही खिलाओ,
नफरत को मारो गोली नफरत को मारो गोली।