प्यार का बसंत
प्यार का बसंत
प्यार का मधुमास सुहाना
हौले हौले से धरा पर छाया है।
गुलाब खिले और खिले मोगरा,
कण-कण को महकाया है।
प्रेम के तीरों से जगमग,
मधुमास मधुर आया है ।
संगीत की स्वर लहरियां गूंजी,
अलि ने हमें बहुत भरमाया है
नर नारी के मन में यहाँ तो
बस इश्क ही इश्क समाया है।
प्रिय मिलन की बेला आई सुहानी ,
गौरी ने ऑखों में अंजन लगाया है ।।

