प्यार और उसकी परिभाषा ??
प्यार और उसकी परिभाषा ??
मुझे तुम्हारे
प्यार की परिभाषा
समझ में नहीं आती
तुम्हारी नजरों में
प्यार से
ज्यादा अहमियत
पैसा रखता है
तुम रिश्तों का भी
वजन कर लेते हो तभी तो
तोल पाते हो
इन्हें दौलत के तराजू पे
तुम दो लफ्ज़
कभी भी प्यार भरे
नहीं बोल पाये बच्चो से
अपने इस पैसे के
अभिमान में।
तुम्हारा तो भगवान हो गया पैसा
पर हमारा भगवान तो
सिर्फ प्यार और अपनापन था
तुम भागते रहे सुबह हो या शाम
इसी पैसे के लिये
और हम तरसते रहे।
तुम्हारे अपनेपन के लिये
नींद की गोली लेकर तुम सोते
सुबह को तेज अलार्म से जागते
और भागते हुये बिना दूध के
दो घूट चाय की लेते
कभी दो घड़ी।
देते वक्त हमें भी पर
बहुत मुश्किल था तुम्हारे लिये
जब भी कुछ कहती तो
वही शब्द दुहरा देते जो
कहते आये हो सालों से
सब तुम लोगों के लिये ही
तो कर रहा हूं।
सोचती रह जाती मैं
क्या यही प्यार है ?
कैसा है यह प्यार
और उसकी परिभाषा।