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निर्मल नदी

निर्मल नदी

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जब बहती निर्मल नदी हिम गिरि के क़रीब ही,

उसकी निर्मलता देख, गिरि भी अडिग रहते हैं !


अनवरत बहते रहना, प्यासे को पानी देना कैसे,

कर लेती है सब सरिता, मन ही मन कहते हैं !


छुपा के अंतर्मन में रेत के ढेर उजली दिखती,

निर्मल जल इतना, दिखता प्रतिबिम्ब कहते हैं !


कहीं नर्मदा बन बहती है, कहीं सरयू कहलाती ये,

गंगा-यमुना का जहाँ मिलन, उसे संगम कहते हैं !


कितने जीवों का जीवन संजोये अपने आप मे,

पापियों को तार देती, इसमें स्नान से कहते हैं !


शिव की जटा बिराजी ये, भगीरथ धरा में लाये इसे,

ये "सदा" उद्धार करती आई है, जग का सब कहते हैं !


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