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Seema Singhal

Romance

4.5  

Seema Singhal

Romance

कठपुतलियों का खेल...

कठपुतलियों का खेल...

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तुम तक पहुंचने के लिए 

मुझे बस 

कुछ कदमों का 

फासला तय करना था 

लेकिन कभी 

वक्‍त ने साथ नहीं दिया 

कभी दिल न इजाज़त नहीं दी ... 


मैने हालातों को 

वक्‍त के हवाले कर दिया है 

इसलिए जो है जैसा है 

उसे वैसे ही रहने दो 

हर घाव भर जाएगा 

वक्‍त के मरहम से ....


कठपुतलियों का खेल अब 

गुजरे वक्‍त की बात हो गया

पर फिर भी लोग जाने क्‍यूं 

कभी किसी के हाथ 

सौंप देते हैं खुद को 

या किसी को 

बना लेते हैं अपने हाथों 

की कठपुतली ....!!



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