मन का गणित !
मन का गणित !
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कितनी परिक्रमाएँ
करेगा मन तुम्हारी
कैसे कहूँ
मुश्किल ही नहीं
असम्भव है समझना
मन का गणित
ये चाहे तो
एक और एक को दो कहे
चाहे तो ग्यारह बताये !