STORYMIRROR

Nishtha jain

Romance Classics Fantasy

4  

Nishtha jain

Romance Classics Fantasy

प्यार और दूरी

प्यार और दूरी

1 min
330

अक्सर ये ख्याल मेरे मन में आता है,

क्या दूरी प्यार को सुकोड़ देता है ?

क्या दूर बैठा वो इंसान,

बना देगा मेरे दिल को अनजान ?


सच्चाई से बेखबर,

लोगों ने बहुत कुछ दिया कान में भर,

फिर वो पल है आया,

दिल में मेरे प्यार था छाया।


मैं थी यहां, वो थे वहां

समय बीतता गया,

हमारा प्यार गहरा होता गया।


लोगों की बातें मजाक लग रही थी,

सच्चे प्यार की अहमियत

उन्हें कहाँ मालूम थी।


प्यार अगर दूरी से कम होता,

तो आज हर रिश्ता गुम होता।


இந்த உள்ளடக்கத்தை மதிப்பிடவும்
உள்நுழை

Similar hindi poem from Romance