मां के रूप
मां के रूप
उसे मां कहूं या भगवान,
कर्जदार हूँ हर सुबह हर शाम,
सहकर इतने कष्ट व अपमान,
दिया मुझे जन्म, वो है महान।।
उसे बहन कहूं या मां,
छोटी हो या बड़ी,
ढाल बनकर वो साथ हमेशा मेरे खड़ी।
उसे बहन कहूं या मां।
उसे सहेली कहूं या मां,
ख्याल रख मेरा,
ममता झलकाती,
हमेशा मुझे फूल की तरह खिलना सिखाती।
उसे सहेली कहूं या मां।
मां एक ही,
बाकी रिश्ते उसके रूप भले ही,
पर मां मेरी है,
मम्मी भी,
दादी मां भी,
बुआ भी,
चाची भी, ताई भी,
मौसी भी , मामी भी,
बहने भी, सहेलियां भी
मां समान भाभी भी।
शुक्रिया आप सबका,
साथ निभाना मेरा सदा,
मेरी खुशी और उम्र आपको
लग जाए,
आज मांगती हूं यही दुआ।।