पवित्रता का प्रमाण-पत्र
पवित्रता का प्रमाण-पत्र
भगवान राम जिन्हें
मर्यादा पुरुषोत्तम
कहा जाता है
लोग पूजा करते है उनकी
वो भी नहीं रोक पाए
माता सीता को
अग्निपरीक्षा देने से
जिन्हें भगवान कहा जाता है
जो मन की बात बिना कहे
पढ़ लेते है आईने की तरह
तो क्या नहीं पता था उन्हें
माता सीता की पवित्रता का
या वो कुछ नहीं कर
सकते थे समाज के आगे
वक्त बदला, समय बदला
और बदले लोग भी
बस नहीं बदला
वो है मानसिकता
बस बदला है शक करने का तरीका
लांछन लगाने का तरीका
और पवित्रता के नाम पर
तरह-तरह की जानलेवा
अग्निपरीक्षा लेने का तरीका
किसी को आँख उठाकर देखने से
बात करने से, गलत के खिलाफ बोलने से
अपनी राय देने से, बाहर किसी के साथ जाने से
अक्सर लोगों को आप पर
आरोप लगाने का मौका मिल जाता है
उनके द्वारा दिए जाने वाले नाम
खुद उनकी औकात बना देते है
कि वो इससे अच्छा सोच नहीं सकते
अपने घर में क्या तांडव हो रहा है
उससे ज्यादा उन्हें पड़ोस के नाटक
को देखने में दिलचस्पी होती है
आखिर भाई उन्हें चाय के साथ
कुछ तो चाहिए न बात करने के लिए
कई पति अपनी गलती या कमी
छुपाने के लिए अपनी पत्नी पर
इल्ज़ाम लगा देते है चरित्रहीन होने का
और ले लेते है उसकी कीमती
जान को अग्निपरीक्षा के नाम पर
कई किस्से सास, ससुर,
विवाहित ननद, देवर,
जेठ, भाभी के भी
दिखाई और सुनाई देते है
जो कि अपनी हवस या लालच
के लिए आरोप लगा देते है
दुनियाँ को दिखाने के लिए
और फिर पवित्रता की परीक्षा
के नाम पर उसकी जान ले लेते है
कह देते है लोगों से कि गलत थी
तो मरना ही था उसे
आखिर कब तक वो
दूसरों के लिए खुद को
सही साबित करती रहेगी
क्यों उसे बार-बार गलत
न होने पर भी गलत कहा जाता है
क्यों उसके आबरू पर
लांछन लगाया जाता है
क्यों आखिर उसे हर बार
आसानी से निशाना बनाया जाता है
आखिर क्यों सीता अग्निपरीक्षा
देगी और कब तक ?
आज के इस आधुनिक
समय में भी स्तिथि
ठीक वैसे ही है
पढ़ी-लिखी है तो
"ज्यादा जानती है क्या तू"
"हमने भी बच्चे पाले है"
"सारा दिन घर में करती क्या हो"
वगैरह वगैरह ताने सुनने पढ़ते हैं
इसलिए हमें जानने की जरूरत है
आखिर कब तक दूसरों के लिए
हम खुद को भूलकर समाज की
इस दकियानूसी परीक्षा को देते रहेगे
खुद की इज्जत को
पवित्रता का प्रमाण-पत्र देते रहेगे
कि नहीं मैं सही हूँ, पवित्र हूँ
मुझ में कोई कमी या खोट नहीं है
मैं भी सीता हूँ उसके तरह पवित्र
आखिर कब तक।