पुराने रिश्ते
पुराने रिश्ते
नए रिश्ते बना न सके
मलाल हमें इस खलिष पर है
पुराने रिश्ते बने रहें
बस यही हमारी ख़्वाहिश है
नए रिश्ते गर बन भी जाएं
ता उम्र हमारे हम दर्द रहें
इनपर कितना एहतराम करें ?
इसका हमें अंदाज़ नहीं
गुज़रे कल के जो रिश्ते हैं
कुछ गहरे हैं कुछ नाज़ुक है
कई मौसम और तपिश में ढले हुवे
ये असली सोने के सिक्के है
पुराने रिश्ते बने रहें
बस यही हमारी कोशिश है
नए रिश्ते बने नहीं
मलाल हमें इस खलिष पर है।